Daily Voice:ऑटो कंपनियों के एक्सपोर्ट पर दबाव बना हुआ है।ऑटो कंपनियों के बड़े बाजार अफ्रीका में मांग में कमी देखने को मिल रही है। इन बाजारों में मांग की स्थिति में सुधार आने में कुछ महीनों का समय लग सकता है। ये बातें फिनकस्तूरी इनवेस्टमेंट के वेल्थबास्केट क्यूरेटर,फाउंडर और चीफ इनवेस्टमेंय एडवाइजर डॉ. निराकार प्रधान ने मनीकंट्रोल के साथ हुई एक बातचीत में कही हैं।
चार पहिया वाहनों की मांग में मजबूती
इसके विपरीत उनका मानना है कि घरेलू बाजार में ऑटो सेक्टर खासकर चार पहिया वाहनों की मांग में मजबूती बनी हुई है। बाजार में चार पहिया वाहनों के नए-नए मॉडल लॉन्च हो रहे हैं। साथ ही कंपनियों का ऑर्डर बैकलॉग भी काफी ज्यादा है। ऐसे में निवेशकों को सलाह होगी कि वो ऐसी ऑटो कंपनियों पर फोकस करें जो वर्तमान में घरेलू बाजार और इकोनॉमी पर ज्यादा निर्भर हैं। ये कंपनियां आगे जोरदार प्रदर्शन करती नजर आएंगी। जिससे निवेशकों को भी फायदा होगा।
वित्त और निवेश का 35 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाले निराकार प्रधान का ये भी कहना है कि मार्जिन में सुधार और असेट क्वालिटी में स्थिरता के साथ ही आगे हमें बैंकिंग सेक्टर भी अच्छा करता नजर आ सकता है।
सीमेंट शेयर भी कराएंगे कमाई
सीमेंट एक और ऐसा सेक्टर है जो निराकार को पंसद है। उनका मानना है कि सीमेंट की मांग में बढ़ोतरी और उत्पादन लागत घटने के साथ ही अगले कुछ तिमाही में सीमेंट कंपनियों का प्रदर्शन मजबूत रहेगा।
क्या हाल के गिरावट के बावजूद भारतीय बाजार का वैल्यूएशन अभी भी महंगा है?
इस सवाल का जवाब देते हुए डॉ. निराकार प्रधान ने कहा कि हाल के करेक्शन के बाद भारतीय बाजार तुलनात्मक रूप से सही स्तर पर आ गए हैं। इसके साथ ही निफ्टी का हिस्टोरिकल एवरेज प्राइस टू अर्निंग मल्टीपल फेयर लेवल पर दिख रहा है। बेहतर इकोनॉमिक ग्रोथ और मजबूत कॉरपोरेट अर्निंग के चलते भारतीय बाजार हमेशा हायर मल्टीपल पर रहते हैं। भारत का यह स्ट्रक्चरल एडवांटेज आगे भी घरेलू और विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार की तरफ आकर्षित करता रहेगा। ऐसे में लंबी अवधि के नजरिए से भारत का इक्विटी मार्केट शानदार नजर आ रहा है।
बाजार के लिए आगे कहां से नजर आ रही हैं चुनौतियां?
इस सवाल का जवाब देते हुए निराकार प्रधान ने कहा कि ग्लोबल मंदी की आशंका, बढ़ती महंगाई और अमेरिका सहित दूसरे देशों में ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका इस समय बाजार के लिए सबसे बड़ी चुनौती नजर आ रहे हैं। भारतीय बाजार की बात करें तो पिछले कुछ समय से ग्रामीण क्षेत्रों की मांग पर दबाव देखने को मिल रहा है। जबकि पिछले साल के अधिकांश हिस्से में शहरी क्षेत्रों की खपत में मजबूती देखने को मिली थी। लेकिन अब पिछले कुछ महीनों से शहरी क्षेत्रों की खपत पर भी दबाव देखने को मिल रहा है। यह बाजार के लिए चिंता की बात है। कंज्यूमर स्टेपल कंपनियों के लिए मांग की स्थिति कमजोर नजर आ रही है। ऐसे में कंज्यूमर स्टेपल सेगमेंट की कंपनियों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।