Share Market:भारतीय शेयर बाजार और उसके निवेशक कशमकश की स्थिति में हैं। भारतीय बाजार ने पिछले साल दिसंबर की शुरुआत में लाइफटाइम हाई लेवल छुआ था। सबसे पहले तो यह एक हाई वैल्यूएशन था, जिसने भारतीय बाजार को महंगा बना दिया। वहीं, दूसरे एशियाई बाजार सस्ते और आकर्षक बने रहे। इसके बाद आए कंपनियों के तीसरी तिमाही के रिजल्ट्स।
फिर ऐसा वक्त आया जब मार्केट महंगाई को लेकर राहत महसूस कर रहा था, लेकिन तब इकोनॉमिक इंडिकेटर उम्मीद से अधिक ऊपर चले गए और फिर से ब्याज वृद्धि का डर सताने लगा। जनवरी बीत ही रही थी कि यूएस शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने अडानी बम फोड़ दिया। इसके बाद अडानी के शेयर (Adani Group Shares) सरपट नीचे की तरफ दौड़ने लगे।
इन्वेस्टर्स छोड़ रहे बाजार
इन सब दबावों के कारण एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग वॉल्यूम में भारी गिरावट आई। इन्वेस्टर्स बाजार छोड़ रहे हैं। इससे एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। क्या निवेशकों का शेयर बाजार से विश्वास उठ रहा है? एनएवी इन्वेस्टमेंट रिसर्च के को-फाउंडर और सेबी रजिस्टर्ड एनालिस्ट आशीष बाहेती ने एनएसई डेटा के साथ एक ट्वीट किया है। इस डेटा के अनुसार, पिछले 6 महीनों में 38 लाख क्लाइंट्स ने शेयर मार्केट छोड़ दिया है। उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन ट्रेडर्स ने शेयर मार्केट की हकीकत देखी होगी।’
आधे रह गए नए अकाउंट्स
पिछले महीने प्रमुख ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जेरोधा के सीईओ नितिन कामथ ने कहा था, ‘उन्होंने इस साल जनवरी से मंथली न्यू अकाउंट ओपनिंग में करीब 50 फीसदी की गिरावट देखी है और यह ट्रेंड पूरी इंडस्ट्री में एक जैसा है।’ बाहेती को आने वाले समय में बाजार में क्लाइंट बेस में और अधिक गिरावट की उम्मीद है।